अतिरिक्त >> वीरेंद्र जैन के साहित्य में आधुनिक युगबोध वीरेंद्र जैन के साहित्य में आधुनिक युगबोधअशोक कुमार शर्मा
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वीरेंद्र जैन के साहित्य में आधुनिक युगबोध...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आधुनिक युगबोध से अभिप्राय है - आधुनिकता की प्रक्रिया के अंतर्गत युग विशेष का आकलन। वीरेंद्र जैन आधुनिक युगबोध के सशक्त रचनाकार हैं, यह इनकी रचनाओं के अवलोकन से पूर्णतः स्पष्ट हो जाता है। इनकी रचनाओं में युग और समाज की चेतना अभिव्यक्त हुई है। आम आदमी से जुड़ा जीवन का कोई भी पक्ष ऐसा नहीं है जिस पर इन्होंने लेखनी न चलाई हो। आधुनिक व्यक्ति की चिंता और चिंतन, उसकी इच्छाएँ और महत्वाकांक्षाएँ प्रेम और यौन संबंध, उसका अलगाव, अकेलापन और अजनबीपन, आम आदमी की कुंठा, संत्रास और घुटन, स्वार्थपरता आदि सभी पक्ष इनके कथा-साहित्य में अभिव्यक्त हुए हैं। वर्णव्यवस्था, महानगरों का यांत्रिक जीवन, राजनीतिक मूल्यों का विघटन, प्रशासनिक मूल्यों में आई अव्यवस्था, आर्थिक वैषम्य, सांस्कृतिक बदलाव, धार्मिक विकृतियाँ और सभ्यतागत आचरण आदि आधुनिक युगबोध से जुड़े सभी पक्षों की अभिव्यक्ति इनकी रचनाओं में हुई है। युवा पीढ़ी की आकांक्षाएँ, व्यस्ताएँ, आक्रोश, विखराव, मर्यादाओं का अतिक्रमण, यौन संबंधों के प्रति ललक-सभी का तो इनकी रचनाओं में उद्घाटन हुआ है, पर्दाफाश हुआ है।
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